गीता जयंती 2025: वो 11 क्रांतिकारी सूत्र, जो ‘नए भारत’ की तकदीर बदल देंगे

आप सभी को गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ!

आज 1 दिसंबर, 2025 का दिन केवल एक ऐतिहासिक तिथि या सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं है। आज का दिन उस ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के अवतरण का है, जिसे दुनिया का सबसे महान ‘मैनेजमेंट गुरु’ और ‘मनोविज्ञान का सबसे बड़ा ग्रंथ’ माना जाता है।

अक्सर हम सोचते हैं कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए बड़ी-बड़ी नीतियां, विदेशी निवेश या इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। ये सब ज़रूरी हैं, लेकिन नींव नहीं। नींव है—‘भारत का नागरिक’। मैंने अपने अनुभव में, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, समाजसेवा या तकनीक का, एक ही सत्य पाया है: “जैसा व्यक्ति होगा, वैसा ही समाज बनेगा और जैसा समाज होगा, वैसा ही राष्ट्र बनेगा।”

आज 21वीं सदी के कुरुक्षेत्र में खड़े भारतीय युवाओं के लिए श्री कृष्ण का संवाद किसी संजीवनी से कम नहीं है। यदि हम वास्तव में भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो हमें दिखावा से आगे बढ़कर ‘आचरण’ पर आना होगा।

यहाँ गीता के वो 11 व्यावहारिक और परिवर्तनकारी मंत्र (Practical Lessons) हैं, जो व्यक्तिगत सफलता और राष्ट्रीय गौरव का ब्लूप्रिंट हैं:

1. कर्म में कुशलता ही योग है (योगः कर्मसु कौशलम्)

आधुनिक संदर्भ: Excellence is not an act, but a habit.

श्री कृष्ण कुशलता की बात करते हैं। आज वैश्विक बाजार में भारत की पहचान ‘सस्ते श्रम’ से नहीं, बल्कि ‘कुशलता’ (Skill) से होनी चाहिए।

‘चलता है’ वाला रवैया (Attitude) हमारी प्रगति का सबसे बड़ा दुश्मन है। चाहे आप एक सॉफ्टवेयर कोडर हों, एक सड़क बनाने वाले मज़दूर, या एक सरकारी बाबू—अपने काम को इतनी नज़ाकत और क्वालिटी से करें कि वह काम ‘कला’ बन जाए। जिस दिन ‘मेड इन इंडिया’ का मतलब ‘सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता’ हो जाएगा, भारत अपने आप महाशक्ति बन जाएगा।

2. अपना उद्धार स्वयं करें (उद्धरेदात्मनात्मानम्)

आधुनिक संदर्भ: Self-Reliance & Accountability.

श्री कृष्ण स्पष्ट कहते हैं, “मनुष्य को अपना मित्र बनकर अपना उद्धार करना चाहिए, अपना शत्रु बनकर खुद का पतन नहीं।”

आज का युवा अक्सर “सिस्टम खराब है”, “सरकार नौकरी नहीं दे रही”, या “मेरे हालात बुरे हैं” की शिकायतों में उलझा रहता है। गीता कहती है— जिम्मेदारी लो! आप अपनी तकदीर के सीईओ (CEO) खुद हैं। एक उद्यमी (Entrepreneur) की मानसिकता लाएं। समस्याओं का रोना रोने के बजाय, समाधान का हिस्सा बनें। आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत ‘आत्मनिर्भर मैं’ से होती है।

3. स्वधर्म में ही श्रेय है (परधर्मो भयावहः)

आधुनिक संदर्भ: Originality beats Imitation.

आज सोशल मीडिया के दौर में ‘FOMO’ (Fear of Missing Out) के कारण हर कोई दूसरे की नक़ल कर रहा है। कोई यूट्यूबर बनना चाहता है, तो सब उधर भागते हैं; कोई इंजीनियर बनता है, तो सब वही करते हैं।

गीता चेतावनी देती है कि “दूसरे के रास्ते पर चलकर सफल होने से बेहतर है, अपने रास्ते अपने गुण, कर्म, स्वभाव (स्वधर्म) पर चलकर असफल होना या संघर्ष करना।” अपनी यूनिक प्रतिभा (Unique Talent) को पहचानें। भारत को सिर्फ इंजीनियरों की नहीं, बल्कि बेहतरीन कलाकारों, किसानों, लेखकों और वैज्ञानिकों की भी ज़रूरत है। ‘फोटोकॉपी’ बनकर जीने से बेहतर है, ‘ओरिजिनल’ बनकर मरना।

4. परिणाम की चिंता से मुक्त कर्म (कर्मण्येवाधिकारस्ते)

आधुनिक संदर्भ: Focus on the Process, not the Anxiety.

यह श्लोक सबसे ज़्यादा कोट किया जाता है, लेकिन सबसे कम समझा गया है। इसका अर्थ यह नहीं कि “रिजल्ट की परवाह मत करो”, बल्कि इसका अर्थ है— “रिजल्ट की चिंता (Anxiety) में अपनी ऊर्जा बर्बाद मत करो।”

जब एक खिलाड़ी खेल के दौरान सिर्फ स्कोरबोर्ड देखता रहता है, तो वह कैच छोड़ देता है। जब विद्यार्थी सिर्फ रैंक के डर में रहता है, तो वह सीख नहीं पाता। कृष्ण कहते हैं कि “प्रोसेस” (Process) से प्यार करो। जब आप डर से मुक्त होकर अपने काम में 100% डूब जाते हैं (Flow State), तो सफलता ‘बाय-प्रोडक्ट’ के रूप में झक मारकर पीछे आती है। अच्छे कार्य की प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा से डूब जाना ही असली सफलता है।

5. मन ही मित्र है, मन ही शत्रु

आधुनिक संदर्भ: Mental Health & Digital Discipline.

आज भारत का युवा बाहरी दुश्मनों से नहीं लड़ रहा, वह लड़ रहा है—डिप्रेशन, एंग्जायटी, और डिजिटल एडिक्शन से।

एक अनियंत्रित मन उस बेलगाम घोड़े की तरह है जो सवार (आप) को गिरा देगा। जिसने अपने मन को जीत लिया, उसके लिए दुनिया में कोई लक्ष्य बड़ा नहीं है। आज की सबसे बड़ी क्रांति ‘मानसिक अनुशासन’ (Mental Discipline) है। डोपामाइन (Dopamine) के गुलाम मत बनो, अपने मन के मालिक बनो।

6. समता का भाव (पण्डिताः समदर्शिनः)

आधुनिक संदर्भ: Social Harmony & Empathy.

एक ज्ञानी व्यक्ति वह नहीं जिसने बहुत किताबें पढ़ी हैं, बल्कि वह है जो सबको ‘समान दृष्टि’ (Equal Vision) से देखे।

जाति, पंथ, भाषा और अमीर-गरीब की खाइयों ने भारत को बहुत नुकसान पहुँचाया है। गीता हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का असली अर्थ समझाती है—हर प्राणी में ईश्वर का अंश देखना। एक सशक्त राष्ट्र तभी बनता है जब समाज का हर वर्ग एक-दूसरे का सम्मान करे। जिस दिन हम एक-दूसरे की टांग खींचने के बजाय हाथ खींचकर ऊपर उठाना शुरू करेंगे, भारत अजेय हो जाएगा।

7. स्थितप्रज्ञ बनें (Emotional Intelligence)

आधुनिक संदर्भ: Resilience is the Key.

श्री कृष्ण अर्जुन को ‘स्थितप्रज्ञ’ (स्थिर बुद्धि वाला) बनने को कहते हैं। सफलता में जो हवा में न उड़े और विफलता में जो डिप्रेशन में न जाए।

आज के दौर में युवाओं में धैर्य (Patience) की कमी है। थोड़ा सा फेलियर मिलते ही लोग टूट जाते हैं। स्टार्टअप कल्चर हो या जीवन, उतार-चढ़ाव आएंगे। एक मज़बूत राष्ट्र का निर्माण वही लोग कर सकते हैं जिनका Emotional Quotient (EQ) हाई हो। सुख और दुख—दोनों को ‘मौसम’ की तरह देखें, जो आएंगे और चले जाएंगे, लेकिन आप (आपका लक्ष्य) स्थिर रहना चाहिए।

8. संशय (Doubt) का नाश करें (संशयात्मा विनश्यति)

आधुनिक संदर्भ: Confidence & Decisiveness.

“संशयात्मा विनश्यति”—जो हमेशा डाउट (शक) में रहता है, उसका विनाश तय है।

क्या मैं कर पाऊंगा? क्या भारत आगे बढ़ पाएगा? यह आत्म-संदेह (Self-doubt) ज़हर है। हमें अपनी संस्कृति, अपनी क्षमताओं और अपने देश के भविष्य पर अटूट विश्वास रखना होगा। इतिहास गवाह है कि दुनिया उसी को रास्ता देती है, जिसे पता होता है कि वह कहाँ जा रहा है। संशय छोड़ें, संकल्प लें।

9. लोकसंग्रह (समाज का कल्याण)

आधुनिक संदर्भ: Servant Leadership & Social Responsibility.

हम जो भी करें, उसमें ‘मैं’ नहीं, ‘हम’ होना चाहिए। अर्जुन ने युद्ध अपने राज्य के लिए नहीं, बल्कि ‘धर्म’ (न्याय और समाज कल्याण) के लिए लड़ा।

चाहे आप बिजनेस करें या नौकरी, सोचें कि इससे देश का क्या भला होगा? क्या मेरा काम समाज में कोई वैल्यू ऐड कर रहा है? इसे ही आधुनिक भाषा में ‘Conscious Capitalism’ कहते हैं। जब हर नागरिक अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रहित (Nation First) को प्राथमिकता देगा, तो भारत की तकदीर बदलते देर नहीं लगेगी।

10. सत्य और धर्म सर्वोपरि (यतो धर्मस्ततो जयः)

आधुनिक संदर्भ: Integrity over Power and Attachment.

अर्जुन के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह थी कि युद्ध में सामने कोई पराया नहीं, बल्कि उनके अपने गुरु (द्रोणाचार्य) और पितामह (भीष्म) खड़े थे। वे अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय थे। लेकिन कृष्ण ने स्पष्ट किया कि जब प्रश्न सत्य और न्याय (Dharma) का हो, तो यह मायने नहीं रखता कि सामने कौन खड़ा है।

अक्सर हम ‘अपनों’ के मोह में या किसी ‘शक्तिशाली’ व्यक्ति के डर से गलत को भी अनदेखा कर देते हैं। गीता का यह वज्र जैसा कठोर संदेश है— न्याय (Justice) और सत्य किसी भी रिश्ते, पद या शक्ति से ऊपर है। चाहे कॉर्पोरेट में आपका बॉस गलत हो, राजनीति में कोई बाहुबली, या परिवार का कोई अपना—यदि वे धर्म के विरुद्ध हैं, तो बिना डरे सत्य के साथ खड़े होना ही असली राष्ट्रभक्ति है। याद रखें, जहाँ धर्म है, जीत अंततः वहीं होती है।

11. सही मार्गदर्शक और संगति का चुनाव (तद्विद्धि प्रणिपातेन)

आधुनिक संदर्भ: Mentorship Matters: Your Network is Your Net Worth.

महाभारत के युद्ध से पहले दुर्योधन और अर्जुन दोनों के पास चुनाव की स्वतंत्रता थी। दुर्योधन ने श्री कृष्ण की शक्तिशाली ‘नारायणी सेना’ (Resources) को चुना, जबकि अर्जुन ने निहत्थे ‘मार्गदर्शक’ (Mentor) कृष्ण को चुना। यही एक निर्णय, हार और जीत का सबसे बड़ा कारण बना।

जीवन में हम अकेले सब कुछ नहीं सीख सकते। हमें एक ऐसे गुरु या मार्गदर्शक (Mentor) की आवश्यकता होती है, जो सिर्फ हमारी “हाँ में हाँ” न मिलाए, बल्कि जो हमें गलत होने पर टोके भी, हमारे अहंकार को तोड़े (Break) और हमारे चरित्र को जोड़े (Make)। आप किसके साथ उठते-बैठते हैं, यह तय करता है कि आप कहाँ पहुँचेंगे। इसलिए बहुत सोच-समझकर चुनें कि आपका सारथी कौन है—शकुनी जैसा कोई, जो भ्रमित करे या कृष्ण जैसा कोई, जो सही दिशा दिखाए। याद रखें, आपकी संगति ही आपका भविष्य है।

कुरुक्षेत्र से कर्मक्षेत्र तक

साथियों , भगवद्गीता कोई ‘रिटायरमेंट’ के बाद पढ़ने वाली किताब नहीं है, यह तो “जीवन जीने का मैनुअल” (Manual of Life) है।

आज गीता जयंती पर मेरा आप सभी से, विशेषकर युवाओं से आह्वान है—गीता को सिर्फ लाल कपड़े में लपेटकर मंदिर में न रखें। इसे अपने स्मार्टफ़ोन की तरह अपने पास रखें, पढ़ें और गुने। अगर हम इन 11 बातों में से एक को भी अपने जीवन में उतार लें, तो हम सिर्फ अपना जीवन ही नहीं, बल्कि भारत का भविष्य लिख रहे होंगे।

मैंने भी उपरोक्त बातों को जीवन में उतारने का भरपूर प्रयास किया है, मेरे जीवन में बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। मेरा ऐसा मानना है आपका जीवन भी अवश्य बेहतर होगा।

जय श्री कृष्ण। जय हिन्द।

1 thought on “गीता जयंती 2025: वो 11 क्रांतिकारी सूत्र, जो ‘नए भारत’ की तकदीर बदल देंगे”

  1. Dear Sir,
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