क्या आप भी किसी काम को शुरू करने के लिए ‘सही समय’ का इंतज़ार कर रहे हैं? मन में बार-बार यही ख्याल आता है, “एक बार पूरी तैयारी हो जाए, फिर शुरू करूँगा।” या “थोड़ा और सीख लूँ, थोड़ा और पैसा आ जाए, फिर देखता हूँ।”
अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो एक बात साफ़ है: आप एक बहुत बड़े धोखे में जी रहे हैं। यह ‘पूरी तैयारी’ और ‘सही समय’ वाली सोच ही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है, जो हमारे सपनों को शुरू होने से पहले ही खत्म कर देती है।
आज हम इसी सोच की परतें उधेड़ेंगे और समझेंगे कि ज़िंदगी इंतज़ार करने वालों को नहीं, बल्कि पहला कदम उठाने वालों को सलाम करती है।
ताकत रखने की नहीं, इस्तेमाल करने की चीज़ है
हम में से ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि हिम्मत और ताकत हमारे अंदर किसी बैंक के लॉकर में बंद है, जिसे हम किसी खास दिन पर निकालेंगे। यह सोच ही गलत है।
ताकत एक मसल (मांसपेशी) की तरह है। आप जितना इसका इस्तेमाल करेंगे, यह उतनी ही मज़बूत होगी। और अगर आप इसे इस्तेमाल ही नहीं करेंगे, तो यह पड़े-पड़े कमज़ोर हो जाएगी। जब आप किसी काम को करने का फैसला करते हैं, भले ही आपको डर लग रहा हो, तो उस काम को करने की ताकत अपने आप आने लगती है। सोचते रहने से हिम्मत कम होती है, काम करने से हिम्मत बढ़ती है।
“मैं तैयार नहीं हूँ” – डर का दूसरा नाम
जब भी आपका मन आपसे कहता है कि “मैं अभी तैयार नहीं हूँ,” तो असल में वह कुछ और कहना चाहता है। वह बस डर को एक अच्छा सा नाम दे रहा है। यह डर तीन तरह का होता है:
- फेल होने का डर: “अगर मैं कामयाब नहीं हुआ तो?”
- लोग क्या सोचेंगे, इसका डर: “सब लोग मेरा मज़ाक उड़ाएंगे।”
- अनजान रास्ते का डर: “आगे क्या होगा, कुछ पता नहीं।”
यह डर लगना नॉर्मल है। हर किसी को लगता है। लेकिन विजेता वो नहीं जिसे डर नहीं लगता। विजेता वो है जो डर लगने के बावजूद भी अपना पहला कदम उठा लेता है।
सफलता की तस्वीरें: जिन्होंने बस ‘शुरू’ किया
इतिहास उन लोगों ने नहीं रचा जो पूरी तरह से तैयार थे, बल्कि उन्होंने रचा जिन्होंने बस शुरुआत करने की हिम्मत दिखाई। हमें किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का उदाहरण लेने की ज़रूरत नहीं है, यह हर सफल इंसान की कहानी है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।
- सोचिए उस इंसान के बारे में, जिसने अपने गैराज या घर के एक छोटे से कोने से अपना बिज़नेस शुरू किया। उसके पास न तो बड़ी टीम थी, न ही लाखों का फंड। उसके पास बस एक आइडिया था, जो शायद पूरी तरह से परफेक्ट भी नहीं था, लेकिन उसे उस पर यकीन था। उसने शुरुआत की, गलतियाँ कीं, और हर गलती से सीखकर आगे बढ़ता गया।
- कल्पना कीजिए उस कलाकार की, जिसने अपनी पहली पेंटिंग एक छोटे से कैनवास पर बनाई, या उस लेखक की, जिसने अपनी कहानी का पहला पन्ना एक साधारण सी डायरी में लिखा। उनकी पहली कृति शायद दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नहीं थी, लेकिन वह ‘शुरुआत’ थी। उस एक शुरुआत के बिना, उनकी महान कृतियाँ कभी अस्तित्व में ही नहीं आतीं।
- उस professional के बारे में सोचिए, जिसने 40 या 50 की उम्र में एक बिल्कुल नया रास्ता चुना। एक सुरक्षित नौकरी छोड़कर अपने जुनून को जीना आसान नहीं था। समाज ने सवाल उठाए, भविष्य अनिश्चित था। लेकिन उसने ‘अब बहुत देर हो चुकी है’ सोचने के बजाय ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ की सोच अपनाई।
- और इन बड़ी तस्वीरों से हटकर, अपने आस-पास देखिए। वह इंसान जिसने पहली बार जिम में कदम रखा, वह गृहिणी जिसने घर से छोटा सा काम शुरू किया, वह स्टूडेंट जिसने एक नया ऑनलाइन कोर्स सीखना शुरू किया – इन सबमें एक ही बात समान है: किसी ने भी शुभ मुहूर्त का इंतज़ार नहीं किया। उन्होंने बस उस छोटे से, अधूरे और डरे हुए पल को ही अपनी शुरुआत बना लिया।
तो पहला कदम कैसे उठाएं? ये रहे 3 आसान तरीके
यह सब सुनने में अच्छा लगता है, पर करें कैसे? शुरुआत करने के लिए इन तीन सरल नियमों को अपनाएं:
- बड़े काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटो:
अगर आपको एक किताब लिखनी है, तो ‘किताब लिखने’ के बारे में मत सोचो। यह बहुत बड़ा और डरावना लगेगा। बस यह सोचो, “आज मैं सिर्फ एक पेज लिखूंगा।” अगर आपको वज़न कम करना है, तो “20 किलो कम करने” के बारे में मत सोचो। बस यह सोचो, “आज मैं सिर्फ 15 मिनट टहलूंगा।” जब लक्ष्य छोटा होता है, तो उसे शुरू करना बहुत आसान हो जाता है। - परफेक्ट नहीं, प्रोग्रेस पर ध्यान दो:
यह नियम बना लो कि आपका पहला प्रयास बेकार ही होगा। आपकी पहली पेंटिंग, पहला वीडियो, पहला प्रोडक्ट अच्छा नहीं होगा, और यह बिल्कुल ठीक है! दुनिया का कोई भी महान इंसान अपना बेस्ट काम पहली बार में नहीं कर पाया। ज़रूरी ‘परफेक्ट’ होना नहीं है, ज़रूरी ‘शुरू करना’ और ‘बेहतर होते जाना’ है। - डर को स्वीकार करो, उससे लड़ो मत:
यह मानना बंद कर दो कि आपको निडर बनना है। डर को महसूस करो, उसे स्वीकार करो। खुद से कहो, “हाँ, मुझे डर लग रहा है। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा है। पर यह काम मेरे लिए ज़रूरी है, इसलिए मैं डर के साथ ही इसे करूँगा।” जब आप डर को अपना लेते हैं, तो उसकी ताकत अपने आप कम हो जाती है।
आपके सपने आपकी ज़िम्मेदारी हैं। उन्हें पूरा करने के लिए कोई ‘सही समय’ या ‘शुभ मुहूर्त’ नहीं आने वाला। जो समय अभी है, वही सबसे सही है। आपकी अधूरी तैयारी, आपका डर, आपकी शंकाएं – इन सबके साथ ही आपको शुरुआत करनी होगी।
तो अब सोचना बंद करें और पहला कदम उठाएं। चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो।
क्योंकि आपकी मंज़िल इंतज़ार कर रही है, बस आपके पहले कदम का।