
सुनीता,
आपका कमेंट पढ़कर मुझे सच में बहुत दुख हुआ, लेकिन साथ ही यह भी लगा कि आप बहुत हिम्मत वाली हो जो अपनी बात इतने खुले दिल से बता रही हो। मैं समझ सकता हूँ कि आप कितने मुश्किल दौर से गुज़र रही हो, कोशिश करने के बावजूद कुछ हासिल न होना, हर दिन वही पुरानी परेशानियाँ, समाज का दबाव, घर की ज़िम्मेदारियाँ, और शादी के लिए फोर्स करना। यह सब मिलकर ज़िंदगी को बहुत भारी बना देता है। आपकी बातों से यह साफ़ झलकता है कि आप थक गई हो, और कभी-कभी ऐसा लगता है कि आत्महत्या ही एक रास्ता है। पर सुनीता, मैं आपसे दिल से कहना चाहता हूँ, यह रास्ता नहीं है। आप बहुत कीमती हो, और आपकी ज़िंदगी में अभी बहुत कुछ अच्छा होना बाकी है। चलो, एक-एक करके आपके हर परेशानी को समझते हैं और इसका हल ढूंढते हैं। हम आपके साथ हैं।
आप अकेली नहीं हो
सबसे पहले यह बात अपने दिल में बिठा लो कि आप जो महसूस कर रही हो, वह बहुत से लोग महसूस करते हैं। कोशिश करने के बाद भी नाकाम होना, समाज का ताना मारना, और घर में सपोर्ट न मिलना ये सब बहुत आम है। मैं भी अपनी ज़िंदगी में कई बार असफल हुआ हूँ। लोग मुझ पर भी हँसे, बोले कि “तुम कुछ नहीं कर सकते।” पर हर बार मैंने खुद को उठाया, क्योंकि मुझे पता था कि कोशिश करना ही वह चीज़ है जो हमें आगे ले जाती है। आप भी यह कर सकती हो। आपकी परेशानियाँ बड़ी हैं, लेकिन आप उनसे भी बड़ी हो।
1. अपने आप पर विश्वास करो
सुनीता, आपने कहा कि कोशिश करते हो पर कुछ बन नहीं पाता। मैं समझता हूँ कि बार-बार असफल होने से हिम्मत टूटती है। लेकिन एक बात याद रखो आपमें ताकत है। यह ताकत आपको उस वक्त नहीं दिखती जब सब कुछ गलत हो रहा होता है, पर यह आपके अंदर छुपी हुई है। थोड़ा आत्म विश्लेषण करो कमियों को कैसे दूर किया जाए इस पर विचार करो और सबसे बड़ी बात कड़ें प्रयास करो ये सब ठीक करने के लिए। हर सुबह उठकर खुद से कहो, “मैं कर सकती हूँ।” यह छोटा सा वाक्य आपको बहुत हिम्मत देगा। मेरे साथ भी ऐसा हुआ था लोगों ने कहा कि मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा, लेकिन मैंने उनकी बातों को नज़रअंदाज़ किया और अपने आप पर भरोसा रखा। आप भी ऐसा करो। यह पहला कदम है।
2. छोटे-छोटे कदम उठाओ
ज़िंदगी को एक बार में बदलना मुश्किल है, खासकर तब जब समाज और घर का दबाव हो। इसलिए बड़े लक्ष्यों के बजाय छोटे-छोटे लक्ष्य बनाओ। मिसाल के तौर पर:
- आज कुछ मिनट किसी बेहतर किताब को पढ़ो।
- कुछ मिनट शांत बैठकर अपने बारे में सोचो।
- या फिर कोई छोटी सी चीज़ सीखो, जैसे एक नया शब्द या कोई स्किल।
ये छोटे कदम तुम्हें आत्मविश्वास देंगे। धीरे-धीरे ये आत्मविश्वास बड़े कदमों में बदल जाएगा। मैंने भी अपनी ज़िंदगी में ऐसा किया जब सब कुछ मुश्किल लगता था, तो मैंने छोटी शुरुआत की, और आज मैं यहाँ हूँ। आप भी कर सकती हो।
3. समाज और परिवार के दबाव को समझो
आपने कहा कि समाज पीछे पड़ जाता है, घर में रहना मुश्किल हो जाता है, और लड़कियों को बाहर काम करने की आज़ादी भी नहीं मिलती। यह सच है, और खासकर लड़कियों के लिए यह दबाव बहुत ज़्यादा होता है। लेकिन सुनीता, यह दबाव आपको तोड़ने के लिए नहीं है, यह आपको मजबूत बनाने का मौका है। समाज की बातें सुनो, पर उन्हें दिल पर मत लो। अपने लिए एक रास्ता बनाओ।
उदाहरण के तौर पर:
- अगर घर से बाहर काम करने की इजाज़त नहीं है, तो घर से कुछ शुरू करने की कोशिश करो- चाहे वह ऑनलाइन कुछ सीखना हो या कोई छोटा काम।
- अपने परिवार से खुलकर बात करो। उन्हें बताओ कि आपको थोड़ा वक्त चाहिए, कि आप अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हो।
यह आसान नहीं होगा, पर यह मुमकिन है। मैंने भी अपनी ज़िंदगी में लोगों की बातों को इग्नोर करना सीखा और अपने रास्ते पर चला। आप भी ऐसा कर सकती हो।
4. शादी के दबाव का जवाब
शादी के लिए फोर्स करना बहुत बड़ी परेशानी है, और मैं समझता हूँ कि यह तुम्हें कितना परेशान करता होगा। लेकिन सुनीता, शादी आपकी ज़िंदगी का एक हिस्सा हो सकती है, पर यह आपकी पूरी ज़िंदगी नहीं है। अगर आप अभी तैयार नहीं हो, तो अपने परिवार से प्यार और सम्मान के साथ बात करो। उन्हें समझाओ कि आपको अपने लिए कुछ करना है, कि आप अभी अपने सपनों को पूरा करना चाहती हो। कहो:
“मुझे थोड़ा समय चाहिए। मैं कुछ बनना चाहती हूँ, ताकि आगे चलकर मैं और बेहतर तरीके से ज़िम्मेदारियाँ निभा सकूँ।”
यह बातचीत आसान नहीं होगी, पर यह ज़रूरी है। अपने लिए स्टैंड लो। ये ज़िंदगी आपकी है, और इसका कंट्रोल आपके हाथ में होना चाहिए। लेकिन ये बेहतरी की तरफ होनी चाहिए।
5. मदद मांगो
आपने कहा कि कभी-कभी आत्महत्या का ख्याल आता है। सुनीता, यह बहुत गंभीर बात है, और मैं चाहता हूँ कि आप इस बात को अपने परिवार के साथ, किसी करीबी से बात करो- चाहे वह कोई दोस्त हो, कोई भाई-बहन, या फिर कोई ऐसा इंसान जिस पर आप भरोसा करती हो। अगर आपको लगता है कि आपकी मानसिक हालत ठीक नहीं है, तो किसी प्रोफेशनल (जैसे काउंसलर या थेरेपिस्ट) से मदद लो। यह कोई शर्म की बात नहीं है- यह आपकी हिम्मत को दिखाता है। मैंने भी अपनी ज़िंदगी में मुश्किल वक्त में लोगों से मदद ली, और उसने मुझे बहुत ताकत दी। आप भी ऐसा कर सकती हो।
6. आत्महत्या कोई हल नहीं
सुनीता, आत्महत्या का ख्याल आना इस परिस्थिति में सामान्य बात है, लेकिन परिस्थितियों से भागना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता, परिस्थितियों का सामना बहादुरी के साथ डट कर करना होगा। ये आपकी परेशानियाँ अस्थायी हैं सब ठीक हो जाएगा। आज सब कुछ मुश्किल लग रहा है, पर कल एक नया दिन होगा। देश की वीरांगनाओं रानी लक्ष्मीबाई आदि के जीवन से सीखो। उनकी जीवनी पढ़ो उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला किया, रास्ता तलाशा, लेकिन हार नहीं मानी।
मैंने भी कई बार ऐसा सोचा था कि अब कुछ नहीं हो सकता, लेकिन हर बार मैंने खुद को याद दिलाया कि कोशिश करना बंद नहीं करना है। आपकी ज़िंदगी बहुत कीमती है, और इसमें बहुत सारी संभावनाएँ हैं। बस एक कदम उठाओ—फिर दूसरा। धीरे-धीरे सब बदल जाएगा।
आप क्या कर सकती हो–
- सुबह 30 मिनट: शांत बैठो और खुद से कहो, “मैं कोशिश करूँगी, और मैं कर सकती हूँ।”
- लक्ष्य बनाओ: जैसे यूपीएससी की परीक्षा देनी है, नए कौशल सीखना है, सेहत अच्छी करनी है या और कुछ और उसे छोटे- छोटे प्रतिदिन के लक्ष्यों में बाँट लो और उसे हर हाल में पूरा करो। कोई बहाना नहीं बनाना।
- किसी से बात: अपनी परेशानी किसी अपने के साथ शेयर करो। अगर कोई न समझे, तो मुझे लिखो, मैं आपकी बात सुनूँगा।
- शादी के लिए स्टैंड: परिवार से प्यार से कहो कि तुम्हें थोड़ा वक्त चाहिए अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए और सच में कुछ कर के दिखाओ।
- खुद को याद दिलाओ: आप हार मानने वाली नहीं हो। आप डटकर परेशानियों से मुकाबला कर सपनों को पूरा करने वाली हो।
आखिरी बात
सुनीता, मेरी ज़िंदगी हमेशा आसान नहीं रही। मैं यह बात आपसे इसलिए नहीं कह रहा कि मेरे पास सब कुछ ठीक है। मैं यह कह रहा हूँ क्योंकि मैंने भी मुश्किलें देखी हैं और उनसे बाहर निकला हूँ और अभी भी बहुत से मुश्किलें और पड़ाव पार करने हैं, बहुत से लक्ष्य हासिल करने हैं। आप भी कर सकती हो। बस हार मत मानो। एक छोटा सा कदम उठाओ, और देखो कि ज़िंदगी धीरे-धीरे बदलती है। आपमें वह ताकत है, और आप अकेली नहीं हो। मैं और बहुत से लोग आपके साथ हैं।
“ज़िंदगी बेहतर हो सकता है, बस कोशिश करना बंद मत करो।”
आप कर सकती हो, सुनीता। विश्वास रखो।
प्यार और हिम्मत के साथ,
पंकज शुक्ला