बेहतर बनने की कला: गलतियों से सीखना और आगे बढ़ना

ज़िंदगी एक सफर है—कोई रेस नहीं, जिसमें हमें एक-दूसरे से आगे निकलना हो। यह एक ऐसा सफर है जिसमें आपको अपने आप से बेहतर बनना है। मुझे बेहतर होना पसंद है, और इसलिए मैं बार-बार कोशिश करता हूँ। इस प्रक्रिया में गिरना, कठिनाइयों का सामना करना, गलतियाँ करना—ये सब इसका हिस्सा है। पर मैं रुकता नहीं, कोशिश करता रहता हूँ, गलतियों को सुधारता हूँ, और हर कदम पर बेहतर होते हुए आगे बढ़ता हूँ। बात यह नहीं कि गलतियाँ नहीं होनी चाहिए; बात यह है कि गलतियाँ भी बड़े लक्ष्य के लिए हों, और आप उन्हें बार-बार न दोहराएँ।

तो आज बात करते हैं—बेहतरी की। कैसे आप गलतियों को अपना गुरु बना सकते हैं, दुनिया की बातों से ऊपर उठ सकते हैं, और शर्म को भूल करके कुछ नया, कुछ बेहतर कर सकते हैं। यह आर्टिकल आपके दिल को छूएगा, आपको सोचने पर मजबूर करेगा, और सबसे बड़ी बात—आपको एक्शन लेने के लिए प्रेरित करेगा।

“मैं अपनी ज़िंदगी में बार-बार असफल हुआ। और इसलिए मैं सफल हुआ।”
– माइकल जॉर्डन

गलतियाँ ज़िंदगी का सबसे बड़ा शिक्षक

हर इंसान गलती करता है। लेकिन सवाल यह नहीं कि गलती हुई; सवाल यह है कि उस गलती से आपने क्या सीखा? गलती करने में शर्माइए नहीं—यह एक मौका है अपने आप को बेहतर बनाने का। थॉमस एडिसन ने जब बल्ब बनाया, तो उन्होंने हजारों बार गलतियाँ की। पर उन्होंने कहा, “मैं असफल नहीं हुआ। मैंने बस 10,000 ऐसे तरीके खोजे जो काम नहीं करते।” हर गलती के साथ वो बेहतर होते गए, और आखिर में दुनिया को रोशनी दी।

गलतियाँ तब बुरी बनती हैं जब आप वही गलती बार-बार दोहराते हैं। एक बार गलती करें, उससे सीखें, और आगे बढ़ें। अगर आप अपने बड़े लक्ष्य के लिए लड़ रहे हैं, तो गलतियाँ भी बड़ी होंगी—और यह गलत नहीं है। बस उन्हें अपना स्टेपिंग स्टोन बनाएँ, न कि रुकावट।

अगली बार जब गलती हो, तो उसे छुपाएँ नहीं। उसे स्वीकार करें, समझें कि क्या गलत हुआ, और एक छोटा सा कदम उठाएँ उसे सुधारने के लिए। यह छोटा कदम आपको बेहतर बनाएगा।

दुनिया की बातें सुनें, पर दिल पे न लें

दुनिया चाहे कुछ भी कहे, आप अपने पर विश्वास न खोएँ। लोग बातें करेंगे—कभी ताने मारेंगे, कभी मज़ाक उड़ाएंगे। लेकिन उनकी बातों का यह मतलब नहीं कि आप गलत हैं। महात्मा गांधी ने कहा था, “पहले वे आपको अनदेखा करेंगे, फिर हँसेंगे, फिर लड़ेंगे, और फिर आप जीतेंगे।” अगर आप अपने लक्ष्य पर फोकस रखेंगे, तो एक दिन वही दुनिया आपकी तारीफ करेगी।

मेरी ज़िंदगी में भी ऐसे पल आए जब लोगों ने कहा, “यह नहीं हो सकता।” पर मैंने उनकी बातों को इग्नोर किया, अपने विश्वास पर टिका रहा, और आगे बढ़ता गया। आप भी यही करें—दुनिया की आवाज़ को धीमा कर दें, और अपने दिल की आवाज़ सुनें।

रोज़ सुबह कुछ समय लगभग 20 मिनट अपने लक्ष्य के बारे में सोचें। दुनिया क्या कह रही है, उससे दूर रहें। अपने आप से पूछें, “आज मैं कैसे बेहतर बन सकता हूँ?”

शर्मिंदा न हों: हम बेहतर बन रहे हैं

आप ख़ुद पर शर्मिंदा न हों। हमें परफेक्ट नहीं होना —हमें तो बस बेहतर बनना है। आज कल से थोड़ा ज़्यादा बेहतर। हर गलती के बाद अपने आप को कोसने के बजाय, ख़ुद को समझाएँ कि यह एक नया सीख था। माइकल जॉर्डन, दुनिया के सबसे बड़े बास्केटबॉल प्लेयर्स में से एक, को हाई स्कूल टीम से निकाल दिया गया था। लेकिन उन्होंने शर्मिंदा होने के बजाय प्रैक्टिस की, और आज उनका नाम प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा, “मैं असफलता को स्वीकार कर सकता हूँ, हर कोई किसी न किसी चीज़ में असफल होता है। लेकिन मैं कोशिश न करना स्वीकार नहीं कर सकता।”

शर्मिंदगी हमें आगे बढ़ने से रोकती है। जब आप शर्मिंदा होते हैं, तो नए चैलेंजेस से डरने लगते हैं। पर अगर आप शर्मिंदगी को छोड़ दें, तो फ्रीली कुछ नया ट्राय कर सकते हैं।

अगली बार जब आप गलती करें और दिल में शर्मिंदगी आए, तो एक गहरी साँस लें। अपने आप से कहें, “यह मेरी सीखने की प्रक्रिया है।” फिर एक छोटा सा एक्शन लें उस गलती को ठीक करने के लिए।

शर्म को Unlearn करना: नया करने की शुरुआत

शर्म को मिटाना ज़रूरी है। यह एक ऐसी चीज़ है जो आपको बाँध के रखती है। जब आप शर्मिंदगी फील करते हैं, तो अपने आप को छुपाते हैं, नए आइडियाज़ से भागते हैं। लेकिन जब आप इसे छोड़ देते हैं, तो एक नई दुनिया खुल जाती है। स्टीव जॉब्स को एप्पल से निकाल दिया गया था, पर उन्होंने शर्म में डूबने के बजाय NeXT और Pixar शुरू किया। फिर वो एप्पल वापस आए और उसे दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मे से एक बनाया।

जे.के. राउलिंग की “हैरी पॉटर” को 12 पब्लिशर्स ने रिजेक्ट किया। अगर वो शर्म में चली जातीं, तो आज हम उनकी जादुई कहानियों से महरूम होते। उन्होंने शर्म को अनलर्न किया, और आगे बढ़ती गईं। आप भी यही करें—कुछ नया करने के लिए शर्म को पीछे छोड़ दें।

आज एक छोटी सी चीज़ करें जो आपने पहले कभी नहीं की—चाहे वो एक नया स्किल सीखना हो या अपने लक्ष्य के लिए एक छोटी योजना बनाना। शर्म को कहें, “अब तुम मेरी राह नहीं रोक सकती।”

बेहतर बनने का संकल्प

“असली गलती वही है जिससे हम कुछ नहीं सीखते।”
– हेनरी फोर्ड

बेहतर बनना एक सफर है, एक प्रक्रिया है जो कभी खत्म नहीं होती। मुझे बेहतर होना पसंद है—इसलिए मैं बार-बार कोशिश करता हूँ। गिरूँगा, कठिनाइयाँ आएंगी, गलतियाँ होंगी—पर मैं रुकूँगा नहीं। आप भी रुकें नहीं। अपने विश्वास पर अडिग रहें, गलतियों से सीखें, शर्म को अनलर्न करें, और हर कदम पर बेहतर बनते जाएँ। यह ज़िंदगी परफेक्ट होने के लिए नहीं—बेहतर बनने के लिए है। आज कल से थोड़ा ज़्यादा बेहतर।

तो आज से शुरू करें—एक छोटा सा कदम उठाएँ, और अपने बेहतर सफर की शुरुआत करें। आप कर सकते हैं, और आप करेंगे। विश्वास रखें—बेहतरी आपका इंतज़ार कर रही है।

11 thoughts on “बेहतर बनने की कला: गलतियों से सीखना और आगे बढ़ना”

  1. Life changing article sir…I am your’s 1 – 1 Mentorship Program’s student sir… Excellent experience with you sir…Now I am being everyday better… thankyou so much 😊

  2. Sir aap ne meri life bilkul change kar di hai…pahle mai kuchh karne se pahle bahut sochta tha lekin action nahin leta tha but jab se apka guidance milna shuru hua hai mai bahut better ho rha hu. Bahut bahut dhanyawad sir🙏

  3. मनीष सिंह

    बहुत बढ़िया👌 आप जैसे लोग ही समाज में बदलाव लाते हैं। लगे रहिए, हमारा प्यार और आशीर्वाद हमेशा आपके साथ है।

  4. Sir ham koshish karte hai but kar nahi paate fir agle din wahi hone lagta hai. Sir apki life to badhiya chal rahi hai is liye aap ye keh rhe hai nahi to problems bado bado ko tod deti hai. agar kuchh na ban pao to puri society peechhe pad jaati hai. gar me rhna mushkil kar dete hai . sir aap hi bataiye ham kya kare?? aur ladkiyo ko to ghar ke baahr kaam bhi nahi karne dete hai. sir shadi ke liye bhi force kiya jaata hai. Bahut pareshan ho jaati hun kabhi kabhi lagta hai atmhatya kar lu sir.

    1. Sunita ji don’t worry…Ham milkar is samasya ka samadhan karenge… please check your mail…hamne apko councelling ke liye invitation link diya hai… please join at given time…Thanks.

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